मनोविज्ञान के अंतर्गत हम प्राणियों के व्यवहार एवं मानसिक और दैहिक प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। व्यवहार में न सिर्फ मानव व्यवहार अपितु पशु पक्षियों का व्यवहार भी शामिल किया गया है। मानसिक तथा दैहिक प्रक्रियाओं में चिंतन, भाव, संवेग, क्रिया, प्रतिक्रिया इत्यादि कई प्रकार की अनुभूतियां सम्मिलित रहती है।
1. मनोविज्ञान आत्मा का विज्ञान है
'साइकोलॉजी' ( Psychology) शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है ' साइके' (Psyche) तथा 'लोगोस' (Logos) , जहां साइके शब्द का अर्थ है- 'आत्मा' (Soul) और 'लोगोस' शब्द का अर्थ है 'शास्त्र' अथवा 'विज्ञान'। इस तरह साइकोलॉजी शब्द का अर्थ हुआ 'आत्मा का विज्ञान'। मनोविज्ञान को आत्मा का विज्ञान मानने में प्रमुख नाम प्लेटो, अरस्तु, तथा देसकारटस का है। सादिक अर्थ में तो मनोविज्ञान का अर्थ आत्मा का विज्ञान ही है परंतु इसे उचित नहीं ठहराया गया है क्योंकि आत्मा की प्रकृति के संबंध में तरह तरह की शंकाएं उत्पन्न होने लगी तथा उस समय के मनोवैज्ञानिक आत्मा की स्पष्ट परिभाषा उसके स्वरूप उसके रंग रूप का आकार, उसकी स्थिति तथा आत्मा की अध्ययन करने की की विधियों को स्पष्ट करने में असफल रहे आत्मा का कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है तथा न तो इसका अवलोकन किया जा सकता है और ना ही प्रयोग अतः 16वीं शताब्दी में विद्वानों के द्वारा मनोविज्ञान की इस परिभाषा को अस्वीकार कर दिया गया।
2. मनोविज्ञान मन्या मस्तिष्क का विज्ञान है
मध्य युग के दार्शनिकों ने मनोविज्ञान को मन के विज्ञान के रूप में परिभाषित किया परंतु मन की प्रकृति तथा स्वरूप को स्पष्ट रूप से निर्धारित करने में मनोवैज्ञानिक असफल रहे क्योंकि आत्मा के समान ही मन की प्रकृति और स्वरूप को निश्चित नहीं किया जा सकता है क्योंकि मन का कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है अतः मन की प्रकृति के संबंध में संतोषप्रद उत्तर उपलब्ध ना होने के कारण मनोविज्ञान की यह परिभाषा भी शीघ्र ही अस्वीकार हो गई।
3. मनोविज्ञान चेतना का विज्ञान है
19वीं शताब्दी में मनोविज्ञान को चेतना का विज्ञान माना गया चेतना होने के कारण ही प्राणी अपने वातावरण के प्रति प्रतिक्रिया करता है तथा मानव की चेतना क्रियाशीलता को मनोविज्ञान का अध्ययन क्षेत्र समझा जाने लगा परंतु मनोविज्ञान द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि चेतना हमारे मन का बहुत अच्छा भाग है तथा मनोविश्लेषण केवल चेतना का ही नहीं अजीत तथा अर्ध चेतन भाग का भी अध्ययन करता है अतः इस कारण से इस धारणा को भी अस्वीकार कर दिया गया।
4. मनोविज्ञान व्यवहार का विज्ञान है
वाटसन वुडवर्थ तथा स्किनर आदि मनोवैज्ञानिकों ने बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में मनोविज्ञान को व्यवहार के विज्ञान के रूप में स्वीकार किया तथा उसे एक निश्चित विज्ञान माना।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें