अर्थव्यवस्था (Economy)

 अर्थव्यवस्था एक प्रणाली है जो किसी क्षेत्र में होने वाले आर्थिक क्रियाकलापों की प्रकृति एवं स्तर की जानकारी देता है।

प्रकृति के आधार पर:-

                               इसके आधार पर अर्थव्यवस्था के तीन प्रकार होते हैं।

1. पूंजीवादी या बाजार अर्थव्यवस्था।

2. समाजवादी या केंद्रीय आयोजित अर्थव्यवस्था।

3. मिश्रित अर्थव्यवस्था।


1. पूंजीवादी या बाजार अर्थव्यवस्था क्या है?

                       अर्थव्यवस्था के इस प्रकार के अंतर्गत आर्थिक निर्णय बाजार नियम बाजार के अनुसार चलते हैं जिसका अर्थ है वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन मांग पूर्ति के सिद्धांत पर आधारित होता है उपभोक्ता उन्हीं वस्तुओं, सेवाओं की मांग करते हैं जिससे उन्हें अधिकतम संतुष्टि की प्राप्ति होती है। वही उत्पादक उन्हीं वस्तुओं सेवाओं की पूर्ति करते हैं जिससे उन्हें अधिकतम लाभ की प्राप्ति होती है।


पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का सकारात्मक पक्ष:

  • आर्थिक वृद्धि की दर में तेजी
  • उच्च जीवन स्तर
  • संसाधनों का अत्यधिक उपयोग
  • सरकार के राजस्व में वृद्धि।

पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का नकारात्मक पक्ष:
  • असमानता (क्षेत्रीय असमानता और आय असमानता)
  • संसाधनों का अत्यधिक दुरुपयोग
  • मंदी की संभावना बनी रहती है।
  • भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है।

2. समाजवादी या केंद्रीय आयोजित अर्थव्यवस्था:-

                अर्थव्यवस्था के इस प्रकार में उत्पादन संबंधी निर्णय राज्य के द्वारा लिया जाता है राज्य के सभी निर्णय लोक कल्याण के उद्देश्य से होते हैं सभी संसाधनों का स्वामित्व एवं प्रबंधन राज्य के द्वारा किया जाता है निजी संपत्ति की अवधारणा नहीं होती है।

समाजवादी अर्थव्यवस्था के सकारात्मक पक्ष:-
  •  सामाजिक आर्थिक न्याय की प्राप्ति
  • संसाधनों का विवेकपूर्ण प्रयोग
  • समावेशी लक्ष्य की प्राप्ति
  • हाय असमानता का लगभग अभाव

समाजवादी अर्थव्यवस्था के नकारात्मक पक्ष:
  • प्रतिस्पर्धा का अभाव
  • आर्थिक वृद्धि की गति धीमी
  • गुणवत्ता युक्त उत्पाद की कमी
  • भ्रष्टाचार में वृद्धि
  • सरकारी राजस्व में कमी



3. मिश्रित अर्थव्यवस्था
                                अर्थव्यवस्था के इस प्रकार में आर्थिक क्रियाकलाप का संचालन सार्वजनिक क्षेत्र सहित निजी क्षेत्रों द्वारा किया जाता है सार्वजनिक क्षेत्र या राज्य नियंत्रित आर्थिक क्रियाकलाप का उद्देश्य महत्तम लोक कल्याण करना है वहीं निजी क्षेत्र की उपस्थिति लाभ के उद्देश्य के लिए होती है।

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