आधुनिक विश्व में जैसे-जैसे आर्थिक क्रियाकलाप में दीदी आदि चली गई वैसे-वैसे वृद्धि की अवधारणा बदलती चली गई अब वृद्ध की जगह विकास को ज्यादा महत्व दिया जाता है क्योंकि-
1. वृद्धि एक आयामी होता है जो प्रति व्यक्ति आय का प्रदर्शन करता है।
2. प्रति व्यक्ति आय प्रदर्शन से निश्चित रूप में यह नहीं कहा जा सकता है कि देश में राष्ट्रीय आय का समान पूर्ण वितरण सुनिश्चित हुआ है।
3. वृद्धि जीवन की गुणवत्ता जैसे शिक्षा स्वास्थ्य का आकलन नहीं करती।
4. वृद्धि पर्यावरण जैसे संवेदनशील मुद्दों को भी शामिल नहीं करती।
जबकि विकास एक विस्तृत अवधारणा है जो अपनी प्रकृति में बहुआयामी है यह एक साथ संख्यात्मक एवं गुणात्मक दोनों पहलुओं पर विचार करता है जीवन की गुणवत्ता से संबंधित प्रश्न तो शामिल होते ही हैं परंतु इसके साथ साथ पर्यावरण से संबंधित समस्याओं को भी यह शामिल करता है।
1. विकास एक विस्तृत अवधारणा है।
2. विकास में संख्यात्मक एवं गुणात्मक दोनों पहलुओं को देखा जाता है।
बिना वृद्धि के विकास संभव नहीं है परंतु वृद्ध की निरंतरता को बनाए रखने के लिए विकास आवश्यक है।
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