शिक्षक की भूमिका


शिक्षक की भूमिका

 कोठारी आयोग (1964- 1966) ने कहा था कि राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों से बड़ी भूमिका और किसी की नहीं हो सकती है इस कथन को ध्यान में रखते हुए तथा ncf-2005 को भी ध्यान में रखते हुए शिक्षकों की भूमिका पर विचार करना महत्वपूर्ण हो जाता है इस अध्याय में हम शिक्षकों की भूमिका जानेंगे।

शिक्षकों के प्रकार- 

                           शिक्षण कला की दृष्टि से शिक्षकों के तीन प्रकार होते हैं।

1. तानाशाही/ सत्तावादी / निरंकुश शिक्षक -

                                                         इस प्रकार के शिक्षक में विद्यार्थियों के प्रति सहानुभूति या समानुभूति नहीं होती है कक्षा में सिर्फ शिक्षक ही होना और सर्वे- सर्वा होना है।

2. प्रजातांत्रिक/ लोकतांत्रिक/ बाल केंद्रित शिक्षक -

                                                                  इस प्रकार के शिक्षण में शिक्षक विद्यार्थियों की रुचि पूर्व ज्ञान एवं क्षमता को वरीयता देते हुए लोकतांत्रिक माहौल में काम करता है।

3. अहस्तक्षेपी शिक्षण -

                                इस प्रकार के शिक्षक का विद्यार्थियों पर कोई नियंत्रण नहीं होता अर्थात विद्यार्थी सर्वे- सर्वा होता है।

NCF- 2005 ने शिक्षक की निम्नलिखित 5 भूमिका मानी है।

सुविधा प्रदाता

मार्गदर्शक

परामर्शदाता

नेतृत्व करता

अनुश्रवण करता

शिक्षक एक सुविधा प्रदाता के रूप में-

  • त्रुटि एवं प्रयास द्वारा सीखने की सुविधा-                        शिक्षक जानता है कि अधिगम के शुरुआत में सभी त्रुटियां करते हैं इसलिए वह अपने विद्यार्थियों से संपूर्ण की उम्मीद न करते हुए त्रुटि एवं प्रयास द्वारा सीखने की सुविधा देता है अतः वह सुविधा प्रदाता है।
  • भ्रम दूर करने की सुविधा-                                                 विद्यार्थी अधिगम के दौरान भ्रमित हो जाते हैं शिक्षक अपने ज्ञान से उन्हें भ्रम दूर करने की सुविधा देता है अतः वह सुविधा प्रदाता है।
  • समूह वार्तालाप की सुविधा-                                    शिक्षक विद्यार्थियों को छोटे-छोटे समूहों में बांटकर आपसी वार्तालाप द्वारा सीखने की सुविधा देता है अतः शिक्षक सुविधा प्रदाता है।
* जिज्ञासा शांत करने की सुविधा

* पूर्व ज्ञान से जोड़कर नवीन ज्ञान निर्माण करने की सुविधा

* संप्रेषण की सुविधा

* आत्म प्रकटीकरण की सुविधा

* सलाह की सुविधा

*सही रास्ता दिखाने की सुविधा

* करके सीखने की सुविधा

* मंच देखने की सुविधा

शिक्षक एक नेतृत्व करता-

                                   एनएफसी 2005 शिक्षक को बच्चों का मुखिया या नेतृत्व करता मानता है इस भाग हम कुछ बिंदुओं के सहारे यह सिद्ध करने की कोशिश करेंगे कि शिक्षक वास्तव में एक नेतृत्व करता है।

            लेकिन इससे पहले हम नेतृत्व के प्रकार को जानने की कोशिश करेंगे।

* विद्वानों ने नेतृत्व के तीन प्रकार माने हैं

1. तानाशाही/ निरंकुश वादी/ सत्तावादी या शिक्षक केंद्रित नेतृत्व -

इस प्रकार के नेतृत्व में अधिकार सिर्फ नेता के पास होते हैं और वह शिक्षा में तानाशाही शिक्षक के बराबर होता है तथा कक्षा में सिर्फ वही हावी होता है और विद्यार्थी की भागीदारी लगभग शून्य होती है।

2. प्रजातांत्रिक/ बाल केंद्रित नेतृत्व -

इस प्रकार के नेतृत्व में नेतृत्व करता भी समूह के लोगों के बराबर होता है और नेतृत्व व अकेले ही नहीं अपितु समूह के लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए सभी की राय एक सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करते हुए कार्य करता है।

3. अहस्तक्षेपी नेतृत्व -

                               इस प्रकार के नेतृत्व में नेता न तो पूरी तरह से तानाशाह होता है और ना ही पूरी तरह से प्रजातांत्रिक होता है बल्कि वह अपने कार्यों को एक आम सहमति बन जाने के बाद बिना हस्तक्षेप के अंजाम देता है वास्तव में आजकल इस प्रकार का नेतृत्व कंपनियों एवं कारपोरेट जगत में ही दिखाई देता है।

                                           हम समझ गए हैं कि सबसे बेहतर नेतृत्व प्रजातांत्रिक या बाल केंद्रित नेतृत्व ही होता है और हम शिक्षक के नेतृत्व शैली में इन्हीं प्रजातांत्रिक गुणों को तलाश करेंगे।

शिक्षक के नेतृत्व कर्ता के रूप में प्रमुख प्रमाण -

1. बच्चों का मुखिया

2.असफलता की जिम्मेदारी लेने वाला

3.पहल करने वाला

4.सलाह देने वाला

5.राह दिखाने वाला

6.अनुभवी

7.सुविधाएं देने वाला

8.प्रजातांत्रिक दृष्टिकोण वाला

9.सभी बच्चों की राय सुनने वाला


शिक्षक एक मार्गदर्शक के रुप में-

                     सदियों से शिक्षकों को इस देश में एक सम्मानजनक स्थान प्राप्त है क्योंकि शिक्षकों को आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शक माना गया है ncf-2005 में भी शिक्षकों को मार्गदर्शक माना गया है आज हम कुछ बिंदुओं के सहारे उसे सिद्ध करने का प्रयास करेंगे।

1.विशेषज्ञता

2.अनुभव

3.मार्ग का ज्ञाता

4.विद्यार्थी का अगुवा

5.प्रेरक

6.पहल करता

7.सुविधा प्रदाता

8.परामर्शदाता


शिक्षक एक परामर्शदाता-

               एक व्यक्ति की मांग पर दूसरे अनुभवी व्यक्ति द्वारा जरूरतमंद व्यक्ति को उचित सलाह देना ही परामर्श कहलाता है।

1. सामूहिक परामर्श- जैसे पूरी कक्षा को परामर्श देना

2. व्यक्तिगत परामर्श- किसी एक विद्यार्थी को शिक्षा से जुड़ी समस्या पर परामर्श देना।

शिक्षक एक परामर्शदाता- 

1.छात्रों का हितैषी

2.गोपनीयता रखने वाला

3.निस्वार्थ बिना किसी पूर्वाग्रह के सलाह देने वाला

4.विद्यार्थी की समस्या को समझने वाला

5.प्रजातांत्रिक सोच वाला ना कि अपनी बात थोकने वाला

6.विशेषज्ञ


शिक्षक एक अनुश्रवण करता-

                          साधारण अर्थ में अनुश्रवण करता वह व्यक्ति होगा जो किसी कार्य की देखरेख करते हुए तथा कार्य में आने वाली बाधाओं एवं कमियों को ध्यान में रखते हुए और दूर करते हुए कार्य को सुचारू रूप से चलाने का काम करता है।

           इस रूप में निश्चय ही शिक्षक एक अनुश्रवण करता है।

1.प्रतिपुष्टि करता

2.निदान करता

3.उपचार करता

4.मानक निर्धारक

5.आकलन करता

6.मूल्यांकन करता

7.पहचान करता

8.विशेषज्ञ

9.बच्चों की उन्नति पर नजर रखने वाला

10.सही सलाह देने वाला

11.कमियां दूर करने वाला


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