संविधान तथा संवैधानिक शासन

 संविधान तथा संवैधानिक शासन

                                     प्रसिद्ध राजनीतिक विचारक आंगस्टाइन ने यह विचार दिया कि संविधान के अभाव में राज्य डाकुओं के झुंड के समान है इसलिए ब्रिटिश उपनिवेशवाद से मुक्त होकर जब भारत एक स्वतंत्र राज्य के रूप में अस्तित्व में आया तो भारत के लोगों के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि स्वतंत्र भारत के निर्माण के लिए एक मजबूत संविधान का निर्माण किया जाए। जिसके लिए कैबिनेट मिशन के प्रस्ताव पर संविधान सभा का गठन किया गया संविधान लिखित या अलिखित नियमों का वह समूह होता है जिससे राजनीतिक व्यवस्था की स्थापना की जाती है और राजनीतिक व्यवस्था के विभिन्न अंगों के मध्य अधिकार और शक्तियों का विभाजन किया जाता है तथा संविधान में जनता के लिए कुछ मूल्यों- स्वतंत्रता, समानता, अधिकार तथा न्याय आदि की स्थापना की जाती है।

                             लेकिन प्रश्न यह उठता है कि संवैधानिक शासन किसे कहा जाए क्या संविधान के अनुसार शासन संवैधानिक शासन है? संवैधानिक शासन का तात्पर्य संविधान के अनुसार शासन नहीं है बल्कि संवैधानिक शासन का तात्पर्य सीमित शासन से है इसलिए केवल उसी संविधान के अनुसार शासन को संवैधानिक शासन कहा जाएगा जो संविधान सीमित शासन की स्थापना करती है संविधान निर्माताओं ने स्वतंत्र भारत के लिए जिस संविधान का निर्माण किया वह संविधान सीमित शासन की स्थापना करता है जिससे भारत की जनता के हितों की सुरक्षा की जा सके इसलिए भारतीय संविधान के अनुसार शासन संवैधानिक शासन है।

            सामान्यतः संविधान को दो भागों में विभक्त किया गया है।

1. लिखित संविधान

2. अलिखित संविधान

                                         लिखित संविधान व संविधान होता है जिस संविधान के अधिकांश भाग लिखित हो जैसे भारत अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया का संगीत है जबकि अलिखित संविधान व संविधान होता है जिस संविधान के अधिकांश भाग लिखित ना हो बल्कि अलिखित हो , ऐसे संविधान रीत रिवाज परंपराओं और न्यायिक निर्णय पर आधारित होता है जैसे ब्रिटेन न्यूजीलैंड और इजराइल का संविधान।

                               संविधान के इस वर्गीकरण को अमेरिकी राजनीतिक विचारक लाड प्राइस स्वीकार नहीं करता है और यह विचार देता है कि कोई भी संविधान न तो पूर्ण रूप से लिखित हो सकता है और ना ही पूर्ण रूप में अलिखित हो सकता है लेकिन सभी संविधान समय और परिस्थितियों के अनुसार उत्पन्न होने वाली समस्याओं और चुनौतियों का समाधान करने के लिए संविधान संशोधन प्रक्रिया को अपनाते हैं और संविधान संशोधन प्रक्रिया के आधार पर किसी भी संविधान को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है।

1. लचीला संविधान

2. कठोर संविधान 

                          लचीला संविधान व संविधान होता है जिस संविधान में साधारण बहुमत (50%+1) के द्वारा संशोधन किया जाए जैसे भारत का संविधान। जबकि कठोर संविधान वह संविधान होता है जिस संविधान में संशोधन के लिए एक विशेष प्रकार की जटिल प्रक्रिया अपनाई जाती है जैसे भारत और अमेरिका का संविधान।

                                   भारतीय संविधान में संशोधन के लिए जो प्रक्रिया अपनाई गई है वह प्रक्रिया साधारण और जटिल दोनों हैं इसलिए भारतीय संविधान को लचीला एवं कठोर संविधान का मिश्रण कहा जाता है।

                                   


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