Hindi Grammar short Notes/हिंदी व्याकरण के नोट्स:

1. हिंदी वर्णमाला:


स्वर: अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः

व्यंजन: क, ख, ग, घ, ङ, च, छ, ज, झ, ञ, ट, ठ, ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श, ष, स, ह

अयोगवाह: अनुस्वार (ं), अनुनासिक (ँ), विसर्ग (ः)


2. शब्द और उसके प्रकार:


नाम (संज्ञा): व्यक्ति, वस्तु, स्थान, गुण आदि के नाम।

सर्वनाम: संज्ञा के स्थान पर प्रयोग होने वाले शब्द (जैसे, वह, यह, मैं, तुम)।

विशेषण: जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं (जैसे, लाल, बड़ा)।

क्रिया: जो कार्य या अवस्था को दर्शाते हैं (जैसे, खाना, सोना)।

क्रियाविशेषण: क्रिया की विशेषता बताने वाले शब्द (जैसे, जल्दी, धीरे)।

संबंधबोधक (संबंध सूचक शब्द): जो किसी संबंध को दर्शाते हैं (जैसे, का, के, की)।

संज्ञा के भेद:

व्यक्तिवाचक संज्ञा: किसी व्यक्ति, स्थान या वस्तु का नाम (जैसे, राम, दिल्ली)।

जातिवाचक संज्ञा: एक ही जाति के समूह का बोध करने वाले शब्द (जैसे, लड़का, पुस्तक)।

भाववाचक संज्ञा: गुण, अवस्था या भाव का बोध कराने वाले शब्द (जैसे, अच्छाई, बुढ़ापा)।


3. वाक्य:


वाक्य के भेद:

विधि वाचक वाक्य: जिन वाक्यों से किसी कार्य की आज्ञा या निवेदन हो (जैसे, कृपया दरवाजा बंद कर दो)।

प्रश्न वाचक वाक्य: जिन वाक्यों में प्रश्न पूछा जाता है (जैसे, क्या आप कल आएंगे?)।

आज्ञार्थक वाक्य: जिन वाक्यों से किसी कार्य को करने का आदेश दिया जाए (जैसे, दरवाजा खोलो)।

विनयार्थक वाक्य: जिन वाक्यों से निवेदन किया जाता है (जैसे, कृपया मेरी सहायता करें)।

आश्चर्य सूचक वाक्य: जिन वाक्यों में आश्चर्य व्यक्त किया जाता है (जैसे, वाह! क्या सुंदर चित्र है)।


4. लिंग:


पुल्लिंग: पुरुष जाति का बोध कराने वाले शब्द (जैसे, लड़का, राजा)।

स्त्रीलिंग: स्त्री जाति का बोध कराने वाले शब्द (जैसे, लड़की, रानी)।


5. वचन:


एकवचन: जब संज्ञा का रूप एक होता है (जैसे, बच्चा, पेड़)।

बहुवचन: जब संज्ञा का रूप अनेक होता है (जैसे, बच्चे, पेड़)।


6. काल:


भूतकाल: जो समय बीत चुका है (जैसे, वह स्कूल गया था)।

वर्तमानकाल: जो समय चल रहा है (जैसे, वह स्कूल जा रहा है)।

भविष्यकाल: जो समय आने वाला है (जैसे, वह स्कूल जाएगा)।


7. संधि:


स्वर संधि: दो स्वरों के मिलने से बनने वाला नया स्वर (जैसे, विद्या + आलय = विद्यालय)।

व्यंजन संधि: व्यंजन और स्वर के मिलन से बनने वाला नया स्वर या व्यंजन (जैसे, जगत् + ईश = जगदीश)।

विसर्ग संधि: विसर्ग (:) के बाद आने वाले स्वर या व्यंजन के साथ संधि (जैसे, दुखः + दायी = दुःखदायी)।


8. समास:


तत्पुरुष समास: जहां पहला पद दूसरा पद का विशेषण हो (जैसे, राजा + पुत्र = राजपुत्र)।

कर्मधारय समास: विशेषण और विशेष्य का मेल (जैसे, लाल + गुलाब = लालगुलाब)।

द्वंद्व समास: दोनों पदों का समान महत्त्व (जैसे, राम + लक्ष्मण = रामलक्ष्मण)।

बहुव्रीहि समास: जो किसी तीसरे अर्थ का बोध कराता हो (जैसे, त्रिलोकी = तीनों लोक)।

अव्ययीभाव समास: अव्यय पद का विशेषण रूप (जैसे, यथाशक्ति = शक्ति के अनुसार)।


9. उपसर्ग और प्रत्यय:


उपसर्ग: शब्दों के पहले लगने वाले ऐसे शब्दांश जो उनके अर्थ में विशेषता ला देते हैं (जैसे, प्र, परि, उप)।

प्रत्यय: शब्दों के बाद जुड़ने वाले ऐसे शब्दांश जो उनके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं (जैसे, इय, आई, वान)।


10. अलंकार:


शब्दालंकार: शब्दों के सुंदर संयोजन से बनने वाले अलंकार (जैसे, अनुप्रास)।

अर्थालंकार: अर्थ की सुंदरता से बनने वाले अलंकार (जैसे, उपमा, रूपक)।


यह नोट्स हिंदी व्याकरण के मूलभूत विषयों का संक्षेपण हैं। विस्तृत अध्ययन के लिए प्रत्येक विषय को गहराई से पढ़ें।

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