EMRS TGT Hindi syllabus के अनुसार तैयार हैं 👇
📘 EMRS TGT Hindi Notes (भाग 1)
🪶 भाग–1 : भाषा और व्याकरण (Language & Grammar)
1. भाषा का परिचय
- भाषा – मनुष्यों के विचारों, भावनाओं और अनुभवों की अभिव्यक्ति का माध्यम है।
- भाषा की विशेषताएँ –
- समाजिकता (Social character)
- परिवर्तनशीलता (Dynamic nature)
- प्रतीकात्मकता (Symbolic system)
- संप्रेषणीयता (Communicative tool)
2. हिंदी भाषा का उद्गम
- मूल स्रोत: संस्कृत → प्राकृत → अपभ्रंश → हिंदी
- मुख्य रूप: खड़ी बोली (आधुनिक हिंदी का आधार)
- हिंदी की बोलियाँ: ब्रज, अवधी, भोजपुरी, हरियाणवी, बुंदेली, राजस्थानी आदि।
3. वर्ण-विचार
- वर्ण – ध्वनि की वह इकाई जो उच्चारण में अविभाज्य हो।
- वर्णमाला – 13 स्वर + 33 व्यंजन = 46 वर्ण
- स्वर: अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः
- व्यंजन: क से ह तक + संयुक्ताक्षर
4. संधि
- अर्थ: दो वर्णों या शब्दों के मिलने से होने वाला रूप परिवर्तन।
- प्रकार:
- स्वर संधि
- व्यंजन संधि
- विसर्ग संधि
- उदाहरण:
- राम + ईश्वर = रामेश्वर (स्वर संधि)
- तद् + गुण = तग्गुण (व्यंजन संधि)
- लोकः + इति = लोकेति (विसर्ग संधि)
5. समास
- अर्थ: दो या दो से अधिक शब्दों का मिलकर एक नया शब्द बनना।
- मुख्य प्रकार:
- द्वंद्व — माता-पिता
- तत्पुरुष — जलपान (जल का पान)
- कर्मधारय — नीलकमल (नीला कमल)
- बहुव्रीहि — पीताम्बर (जो पीले वस्त्र धारण करता है)
- अव्ययीभाव — उपर्युक्त
6. उपसर्ग और प्रत्यय
- उपसर्ग: शब्द के आरंभ में लगने वाला रूप (जैसे – प्र, अनु, सम, परा)
- प्रत्यय: शब्द के अंत में जुड़ने वाला रूप (जैसे – कता, ई, पन, वाला)
7. शब्द भेद
- संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, क्रियाविशेषण, अव्यय, संबंधबोधक, विस्मयादिबोधक
8. कारक और विभक्ति
- संज्ञा/सर्वनाम और क्रिया के संबंध को कारक कहते हैं।
- छः कारक: कर्ता, कर्म, करण, संप्रदान, अपादान, अधिकरण
- विभक्ति चिह्न: ने, को, से, के लिए, का/की/के आदि।
9. काल और वाच्य
- काल: वर्तमान, भूत, भविष्य
- वाच्य: कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य, भाववाच्य
10. अनेकार्थक, पर्यायवाची, विलोम शब्द
- अनेकार्थक: जिनका एक रूप अनेक अर्थ देता है (जैसे – जल = पानी / हराना / नष्ट करना)
- पर्यायवाची: समान अर्थ वाले शब्द (जैसे – सूर्य = भानु, दिवाकर)
- विलोम: विपरीत अर्थ वाले शब्द (जैसे – दिन – रात)
📚 भाग–2 : साहित्य (Sahitya)
हिंदी साहित्य का विकास काल विभाजन
- आदिकाल (1050–1350 ई.) – वीरगाथा काव्य, रचनाएँ: पृथ्वीराज रासो
- भक्तिकाल (1350–1700 ई.) – रामभक्ति और कृष्णभक्ति धारा
- प्रमुख कवि: कबीर, तुलसीदास, सूरदास, मीराबाई
- रीतिकाल (1700–1850 ई.) – श्रृंगार प्रधान काव्य
- प्रमुख कवि: बिहारी, केशवदास, पद्माकर
- आधुनिक काल (1850 से अब तक)
- भारतेन्दु युग
- द्विवेदी युग
- छायावाद युग
- प्रयोगवाद, नई कविता, जनवादी कविता
🧑🏫 भाग–3 : भाषा-शिक्षण और शिक्षण विधियाँ
- भाषा शिक्षण के उद्देश्य: सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना चार कौशलों का विकास
- मुख्य विधियाँ:
- व्याकरण-अनुवाद विधि
- प्रत्यक्ष विधि
- श्रवण-दृश्य विधि
- संप्रेषणात्मक विधि
- क्रियात्मक दृष्टिकोण (Activity-based Learning)
🪶 भाग – 2 : हिंदी साहित्य का विस्तृत परिचय
🧭 1. हिंदी साहित्य का काल-विभाजन
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काल
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समय सीमा
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प्रमुख प्रवृत्ति
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प्रमुख कवि
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आदिकाल
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1050–1350 ई.
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वीरगाथा काव्य, धर्म प्रचार
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चंदबरदाई, जगनिक
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भक्तिकाल
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1350–1700 ई.
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ईश्वर भक्ति, सरल भाषा
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कबीर, तुलसीदास, सूरदास
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रीतिकाल
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1700–1850 ई.
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श्रृंगार रस, अलंकारिक भाषा
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बिहारी, केशवदास, देव
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आधुनिक काल
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1850 ई. से वर्तमान
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समाज सुधार, राष्ट्रवाद, प्रयोगवाद
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भारतेन्दु, महादेवी, निराला
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🌿 2. आदिकाल (वीरगाथा काल)
🔸 प्रमुख विशेषताएँ
- राजाओं और वीरों की वीरता का वर्णन
- प्राचीन लोकगाथाओं की शैली
- भाषा – अपभ्रंश से विकसित प्रारंभिक हिंदी
🔸 प्रमुख कवि और रचनाएँ
- चंदबरदाई – पृथ्वीराज रासो
- जयनक – अलंकार संग्रह
- जगनिक – अल्हा खंड
🌸 3. भक्तिकाल
भक्तिकाल को दो धाराओं में बाँटा गया है 👇
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धारा
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प्रमुख कवि
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विशेषता
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निर्गुण भक्ति धारा
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कबीर, रैदास, दादू
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ईश्वर निराकार, रूपरहित
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सगुण भक्ति धारा
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तुलसीदास, सूरदास, मीराबाई
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ईश्वर साकार रूप में
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🔹 प्रमुख कवि और रचनाएँ
- कबीरदास – बीजक, साखी, सबद, रमैनी
- “कबीर के दोहे” प्रसिद्ध हैं
- निर्गुण भक्ति के प्रवर्तक
- प्रमुख विषय – ईश्वर भक्ति, समाज सुधार, अंधविश्वास-विरोध
- रैदास (रविदास) – मन चंगा तो कठौती में गंगा
- तुलसीदास – रामचरितमानस, विनय पत्रिका, कवितावली, दोहावली
- सगुण रामभक्ति शाखा
- सरल अवधी भाषा
- सूरदास – सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य लहरी
- सगुण कृष्णभक्ति शाखा
- वात्सल्य और माधुर्य भाव प्रमुख
- मीराबाई – गीत गोविंद तिलक, पदावली
- कृष्ण के प्रति प्रेम और समर्पण
💐 4. रीतिकाल (श्रृंगारिक युग)
🔸 विशेषताएँ
- काव्य का केंद्र नायक-नायिका और श्रृंगार रस
- भाषा – ब्रजभाषा
- अलंकारिकता और भाव सौंदर्य
🔹 प्रमुख कवि और रचनाएँ
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कवि
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प्रमुख रचना
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विशेषता
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बिहारी
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बिहारी सतसई
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श्रृंगार और नीति दोहे
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केशवदास
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रसिकप्रिया, कविप्रिया, रामचंद्रिका
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रीति ग्रंथों के निर्माता
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देव
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भवानी विलास, रस रंग
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अलंकारिक शैली
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पद्माकर
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जगद्विनोद, हर्षविलास
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दरबारी कवि
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मतिराम
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रसराज, भावप्रकाश
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श्रृंगार रस के कवि
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🕊️ 5. आधुनिक काल
🕯️ (1) भारतेन्दु युग (1850–1900 ई.)
- हिंदी गद्य का आरंभिक युग
- समाज सुधार, राष्ट्रीयता
- भाषा – खड़ी बोली
- प्रमुख लेखक:
- भारतेन्दु हरिश्चंद्र – “अंधेर नगरी”, “भारत दुर्दशा”
- बालकृष्ण भट्ट – “हिंदी प्रदीप”
- प्रताप नारायण मिश्र – “ब्रजभाषा हिटोपदेश”
🕯️ (2) द्विवेदी युग (1900–1920 ई.)
- निबंध, आलोचना, कहानी का विकास
- भाषा शुद्ध और संस्कृतनिष्ठ
- प्रमुख लेखक:
- महावीरप्रसाद द्विवेदी – “सरस्वती पत्रिका” के संपादक
- मैथिलीशरण गुप्त – “साकेत”, “भारत भारती”
- नरेन्द्र शर्मा, अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध
🌺 (3) छायावाद युग (1918–1938)
- कल्पना, प्रकृति, प्रेम, रहस्यवाद
- “चार स्तंभ” – जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा, निराला
- मुख्य रचनाएँ:
- कामायनी – जयशंकर प्रसाद
- गुंजन, पल्लव – पंत
- दीपशिखा, यामा – महादेवी वर्मा
- तुलसीदास, सरोज स्मृति – निराला
🌿 (4) प्रयोगवाद, नई कविता और जनवादी काव्य (1938 के बाद)
- समाज, यथार्थ, विद्रोह, व्यक्ति चेतना
- प्रमुख कवि: अज्ञेय, नागार्जुन, केदारनाथ अग्रवाल, मुक्तिबोध
📖 6. हिंदी गद्य का विकास
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गद्य रूप
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प्रमुख लेखक
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रचना
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निबंध
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हजारी प्रसाद द्विवेदी, हरिशंकर परसाई
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“कुटज”, “भोलाराम का जीव”
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उपन्यास
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प्रेमचंद
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“गोदान”, “गबन”, “नमक का दारोगा”
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कहानी
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जयशंकर प्रसाद, मृदुला गर्ग
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“इदगाह”, “छोटीसी बात”
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नाटक
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भारतेन्दु, प्रसाद
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“अंधेर नगरी”, “चन्द्रगुप्त”
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🧠 परीक्षा में पूछे जाने वाले सामान्य प्रश्न (Objective Style)
- ‘सूरसागर’ के रचयिता कौन हैं?
→ सूरदास
- ‘रामचरितमानस’ किस भाषा में लिखी गई?
→ अवधी
- ‘कामायनी’ के कवि कौन हैं?
→ जयशंकर प्रसाद
- ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’ के लेखक हैं—
→ भारतेन्दु हरिश्चंद्र
- ‘भारत भारती’ की रचना किसने की?
→ मैथिलीशरण गुप्त
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