नीचे EMRS Exam के लिए समास (Samas) पर बहुत विस्तृत, आसान भाषा में, परीक्षा-उपयोगी Notes दिए गए हैं —
हर समास में 20-20 उदाहरण शामिल हैं।
⭐ समास – विस्तृत नोट्स (EMRS के लिए)
समास = दो या दो से अधिक शब्दों का संक्षिप्त रूप
संक्षेप में बड़े वाक्य को छोटा करके अर्थपूर्ण शब्द बनाना समास कहलाता है।
➡️ सामान्य सूत्र: पूरा वाक्य → छोटा पद → अर्थ पूरा।
समास के मुख्य 6 प्रकार हैं:
- अव्ययीभाव समास
- द्वंद्व समास
- द्विगु समास
- तत्पुरुष समास
- बहुव्रीहि समास
- कर्मधारय समास (तत्पुरुष का उपप्रकार)
🟦 1. अव्ययीभाव समास
परिभाषा:
जिस समास में पहला पद अव्यय (जैसे: उपरि, अधः, पुनः, सदैव, आदि) हो और पूरा समास अव्यय की तरह प्रयोग हो, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं।
सूत्र:
अव्यय + संज्ञा/क्रिया = एक अव्यय अर्थ वाला पद
अर्थ:
जैसा का तैसा या मिलाकर एक अव्यय अर्थ।
✔ 20 उदाहरण – अव्ययीभाव समास
- उपरि + उक्त = उपर्युक्त
- पुनः + जन्म = पुनर्जन्म
- यथा + शक्ति = यथाशक्ति
- यथा + समय = यथासमय
- यथा + योग्य = यथायोग्य
- यथा + सिद्ध = यथासिद्ध
- एक + साथ = एकसाथ
- इसी + कारण = इसीकारण
- प्रति + दिन = प्रतिदिन
- प्रति + वर्ष = प्रतिवर्ष
- प्रति + व्यक्ति = प्रतिव्यक्ति
- सदैव + भाव = सदैवभाव
- उप + रात्रि = उपरात्रि
- अर्ध + रात = अर्धरात्रि
- अति + शीघ्र = अतिशीघ्र
- पर + लोक = परलोक
- अप + समय = अपसमय
- सह + अस्तित्व = सहअस्तित्व
- निशा + दीन = निशादिन
- यथार्थ + रूप = यथार्थरूप
🟦 2. द्वंद्व समास
परिभाषा:
जब दो शब्दों का योग बराबरी का होता है और दोनों का महत्व समान हो, तो द्वंद्व समास बनता है।
➡️ कई बार ‘और’ का अर्थ निकलता है।
✔ 20 उदाहरण – द्वंद्व समास
- माता + पिता = मातापिता
- राम + लक्ष्मण = रामलक्ष्मण
- सूरज + चाँद = सूर्यचंद्र
- रोटी + कपड़ा = रोटी-कपड़ा
- सुख + दुःख = सुखदुःख
- दिन + रात = दिनरात
- आशा + निराशा = आशानिराशा
- छात्र + शिक्षक = छात्र-शिक्षक
- राष्ट्र + समाज = राष्ट्रसमाज
- हर्ष + शोक = हर्षशोक
- जन + गण = जनगण
- भरण + पोषण = भरण-पोषण
- जीवन + मृत्यु = जीवन-मृत्यु
- हाथ + पैर = हाथपैर
- गुरु + शिष्य = गुरुशिष्य
- तिथि + वार = तिथि-वार
- पानी + हवा = पानीहवा
- राजा + प्रजा = राजा-प्रजा
- पति + पत्नी = पतिपत्नी
- भाई + बहन = भाईबहन
🟦 3. द्विगु समास
परिभाषा:
संख्यावाचक शब्द + संज्ञा
➡️ इसमें पहला पद संख्या ठहरता है।
✔ 20 उदाहरण – द्विगु समास
- एक + जीवन = एकजीवन
- दो + हाथ = दोहाथ
- तीन + लोक = तीनोंलोक
- चार + दिशा = चौदिश
- पंच + लोक = पंचलोक
- सप्त + ऋषि = सप्तऋषि
- द्वि + पाद = द्विपाद
- द्वि + द्वार = द्विद्वार
- त्रि + लोक = त्रिलोक
- त्रि + तत्त्व = त्रितत्त्व
- द्वि + रंग = द्विरंग
- द्वि + फल = द्विफल
- द्वि + भुज = द्विभुज
- द्वि + गुण = द्विगुण
- त्रि + वेद = त्रिवेद
- त्रि + राष्ट्र = त्रिराष्ट्र
- चार + पुरुष = चतुष्पुरुष
- एक + नय = एकनय
- द्वि + शब्द = द्विशब्द
- पंच + देव = पंचदेव
🟦 4. तत्पुरुष समास
परिभाषा:
जिसमें एक पद (पहला या दूसरा) प्रधान नहीं होता, पर समग्र अर्थ मुख्य होता है।
➡️ उत्तरपद प्रधान (दूसरा शब्द सबसे मुख्य)।
➡️ वाक्य में के / की / का / पर / से / में का अर्थ निहित होता है।
इसके 6 प्रमुख भेद:
- कर्मधारय
- द्वितीया तत्पुरुष
- तृतीया तत्पुरुष
- चतुर्थी तत्पुरुष
- पंचमी तत्पुरुष
- षष्ठी तत्पुरुष
⭐ (A) कर्मधारय समास
परिभाषा:
दोनों पद एक-दूसरे का विशेषण + संज्ञा होते हैं।
✔ 20 उदाहरण – कर्मधारय
- सु + पुत्र = सुपुत्र
- महा + पुरुष = महापुरुष
- राज + मार्ग = राजमार्ग
- सुंदर + लड़की = सुंदरलड़की
- नील + कमल = नीलकमल
- लंबा + आदमी = लंबाआदमी
- दीन + गरीब = दीनगरीब
- उत्तम + छात्र = उत्तमछात्र
- नीच + कर्म = नीचकर्म
- चतुर + बालक = चतुरबालक
- लघु + कथा = लघुकथा
- बुरा + समय = बुरासमय
- कृष्ण + पक्ष = कृष्णपक्ष
- शुक्ल + पक्ष = शुक्लपक्ष
- पाप + कर्म = पापकर्म
- मधुर + वाणी = मधुरवाणी
- कठिन + प्रसंग = कठिनप्रसंग
- सत्य + वचन = सत्यवचन
- महान + भारत = महानभारत
- श्वेत + धवल = श्वेतधवल
⭐ (B) द्वितीया तत्पुरुष
क्रिया + कर्म
如: खाना + अन्न → अन्न खाना
✔ 20 उदाहरण – द्वितीया तत्पुरुष
- जल + पान = जलपान
- अन्न + भक्षण = अन्नभक्षण
- फल + सेवन = फलसेवन
- न्याय + पालन = न्यायपालन
- कर्तव्य + पालन = कर्तव्यपालन
- आदेश + पालन = आदेशपालन
- अनुशासन + पालन = अनुशासनपालन
- वचन + पालन = वचनपालन
- धर्म + पालन = धर्मपालन
- सागर + स्नान = सागरस्नान
- नदी + स्नान = नदीस्नान
- उपवास + सेवन = उपवासीसेवन
- दूध + पान = दूधपान
- जल + सेवन = जलंसेवन
- वेद + पाठ = वेदपाठ
- कथा + श्रवण = कथाश्रवण
- मंत्र + जाप = मंत्रजाप
- पुस्तक + पठन = पुस्तकपठन
- गीत + गान = गीतगान
- भजन + कीर्तन = भजनकीर्तन
⭐ (C) तृतीया तत्पुरुष (से / द्वारा)
✔ 20 उदाहरण
- हाथ + लिखित = हस्तलिखित
- मन + प्रेरित = मनःप्रेरित
- माता + प्रेरित = मातृप्रेरित
- जल + भरा = जलबरा
- दूध + बना = दूधबना
- आत्मा + प्रेरित = आत्मप्रेरित
- कर्म + जनित = कर्मजनित
- हवा + चला = हवाचला
- अग्नि + जन्म = अग्निजन्म
- सूर्य + उदित = सूर्योदित
- जल + उत्थान = जलोत्थान
- हिम + आच्छादित = हिमाच्छादित
- धूल + मिश्रित = धूलि-मिश्रित
- भूमि + स्थ = भूमिष्ठ
- जल + यान = जलयान
- वायु + यान = वायुप्राण
- घड़ी + निर्मित = घडीनिर्मित
- हस्त + निर्मित = हस्तनिर्मित
- वन + निवास = वननिवास
- जल + निवास = जलनिवास
⭐ (D) चतुर्थी तत्पुरुष (के लिए)
✔ 20 उदाहरण
- जन + हित = जनहित
- राष्ट्र + हित = राष्ट्रहित
- समाज + सेवा = समाजसेवा
- देश + भक्ति = देशभक्ति
- गुरु + सेवा = गुरुसेवा
- मानव + कल्याण = मानवकल्याण
- जनता + सेवा = जनतासेवा
- विद्यार्थी + कल्याण = विद्यार्थीकल्याण
- बाल + विकास = बालविकास
- स्वास्थ्य + रक्षा = स्वास्थ्यरक्षा
- कक्षा + कार्य = कक्षाकर्म
- बाल + कल्याण = बालकल्याण
- जन + कल्याण = जनकल्याण
- देश + सेवा = देशसेवा
- गो + रक्षा = गोरक्षा
- नारी + सुरक्षा = नारीसुरक्षा
- परिवार + कल्याण = परिवारकल्याण
- जनता + भलाई = जनताभलाई
- वृद्ध + सेवा = वृद्धसेवा
- समाज + रक्षा = समाजरक्षा
⭐ (E) पंचमी तत्पुरुष (से / द्वारा)
✔ 20 उदाहरण
- जल + रहित = जलरहित
- धन + रहित = धनरहित
- गृह + रहित = गृहहीन
- भय + रहित = निर्भय
- सुख + रहित = दु:सुखहीन
- आशा + रहित = निराश
- उत्साह + रहित = निरुत्साह
- नींद + रहित = अनिंद्रा
- जल + रहित = निर्जल
- बुद्धि + रहित = निर्बुद्धि
- स्वार्थ + रहित = निःस्वार्थ
- पाप + रहित = निष्पाप
- रोग + रहित = निरोध
- शक्ति + रहित = निर्बल
- धर्म + रहित = निधर्म
- दोष + रहित = निर्दोष
- भय + रहित = अभय
- धन + रहित = निर्धन
- जल + हीन = जलहीन
- रंग + हीन = निर्वर्ण
⭐ (F) षष्ठी तत्पुरुष (का / की / के)
✔ 20 उदाहरण
- राम + चरित = रामचरित
- सीता + हरण = सीताहरण
- राजा + पुत्र = राजपुत्र
- पिता + घर = पितृगृह
- गुरु + आज्ञा = गुरुपज्ञा
- देव + पूजा = देवपूजा
- धनुष + बाण = धनुषबाण
- अग्नि + पुत्र = अग्निपुत्र
- कण + भंग = कणभंग
- राजा + महल = राजमहल
- बांधी + बेटी = बंधुबेटी
- मित्र + हित = मित्रहित
- मानव + जाति = मानवजाति
- पृथ्वी + नाथ = पृथ्वीनाथ
- सूर्य + उदय = सूर्योदय
- चंद्र + किरण = चंद्रकिरण
- वायु + पुत्र = वायुपुत्र
- देव + पुत्र = देवपुत्र
- राजा + सेना = राजसेना
- मन + परिवर्तन = मनपरिवर्तन
🟦 5. बहुव्रीहि समास
परिभाषा:
जिस समास में बना हुआ पद किसी तीसरे व्यक्ति / वस्तु पर लागू हो, उसे बहुव्रीहि कहते हैं।
➡️ अर्थ: जिसके पास फल/गुण हो
➡️ मुख्य पहचान: अर्थ किसी तीसरे पर जाए।
✔ 20 उदाहरण – बहुव्रीहि समास
- नील + कमल = नीलकमल (जिसकी आँखें नीले कमल जैसी हों)
- चंद्र + मुख = चंद्रमुख (जिसका मुख चंद्र जैसा हो)
- लंब + बाहु = लंबाबाहु (जिसकी बाँहें लंबी हों)
- दीन + बंधु = दीनबंधु (जो दीनों का बंधु हो)
- बहु + पुत्र = बहुपुत्र (जिसके बहुत पुत्र हों)
- बहु + धान = बहुधान (जिसके पास बहुत धान हो)
- महा + बल = महाबली (जिसके पास महान बल हो)
- चतु + चक्र = चतुरचक्र (चार चक्कों वाला)
- त्रि + नेत्र = त्रिनेत्र (तीन आँखों वाला)
- सु + दंत = सुदंती (सुंदर दाँत वाला)
- सु + गंध = सुगंध (सुंदर गंध वाला)
- दु + गंध = दुर्गंध (खराब गंध वाला)
- बहु + जल = बहुजल (जिसमें जल अधिक हो)
- बहु + लेख = बहुलेख (अधिक लेखों वाला)
- गो + पद = गोपद (गाय के चरण वाला)
- गो + मुख = गोमुख (गाय सा मुख वाला)
- त्रि + भुवन = त्रिभुवन (तीन लोक वाला)
- उष्ण + जल = उष्णजल (गर्म पानी वाला)
- अति + मान = अतिमानी (जो अत्यधिक मान रखता हो)
- दुर्बल + हस्त = दुर्बलहस्त (जिसका हाथ कमजोर हो)
🟦 6. बहुव्रीहि समास (बहुव्रीहि Samas)
⭐ परिभाषा:
जब दो शब्द मिलकर एक ऐसा नया शब्द बनाते हैं, जिसका अर्थ उन दोनों पर न जाकर किसी तीसरे व्यक्ति, वस्तु या स्थान पर लागू हो, तो उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं।
📌 Main Identity:
➡ समस्त पद = किसी तीसरे के लिए
➡ अंदर छिपा अर्थ = “जिसके पास यह गुण हो”
✔ सूत्र:
विशेषण + संज्ञा = बहुव्रीहि (Meaning third person/object पर लागू होता है)
⭐ ➤ बहुव्रीहि समास के महत्वपूर्ण बिंदु
✔ अर्थ सीधे शब्दों पर नहीं जाता — किसी तीसरे पर जाता है
✔ प्रायः गुण, दोष, संख्या, रूप से जुड़े अर्थ
✔ अंत में “वाला / वाली / जिसके पास…” का भाव
✔ विशेषण + संज्ञा संयोजन
🟩 बहुव्रीहि समास — 20 नए उदाहरण
नीचे दिए गए सभी उदाहरण पहले वाली सूची से अलग और नए हैं:
- श्यामलोचन – जिसके नेत्र श्याम (काले) हों
- पीताम्बर – जो पीले वस्त्र पहने
- बहुभाषी – जो बहुत भाषाएँ जानता हो
- दुर्बुद्धि – जिसकी बुद्धि खराब हो
- नित्यसुखी – जो हमेशा खुश रहता हो
- बहुरंगी – जिसमें अनेक रंग हों
- नीलकण्ठ – जिसका कंठ नीला हो (शिव)
- त्रिकालदर्शी – जो तीन काल (भूत, वर्तमान, भविष्य) देख सके
- सुपुत्र – जिसका पुत्र अच्छा हो
- दुःशील – जिसका स्वभाव खराब हो
- बहुशक्तिमान – जिसके पास बहुत शक्ति हो
- दुर्लभधन – जिसका धन बहुत कठिनता से मिलता हो
- बहुजनप्रिय – जो बहुत लोगों का प्रिय हो
- बहुसंख्यक – जिनकी संख्या अधिक हो (जैसे – बहुसंख्यक समुदाय)
- चतुर्वेदी – जो चारों वेद जानता हो
- नवदंपती – नई शादी वाला जोड़ा
- श्रेष्ठगुणी – जिसके गुण उत्कृष्ट हों
- दुर्मुख – जिसका मुख खराब/भद्दा हो
- विषधर – जिसके पास विष हो (जैसे साँप)
- सुवर्णकाय – जिसका शरीर स्वर्ण जैसा हो
⭐ बहुव्रीहि समास की पहचान (Exam Tips)
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पहचान
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कैसे पहचानें?
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उदाहरण
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अर्थ तीसरे पर जाए
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समास के दोनों शब्दों के अर्थ मिलाकर किसी तीसरे व्यक्ति/वस्तु पर लागू हों
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नीलकंठ = शिव
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‘वाला/वाली’ का भाव
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जिसके पास यह गुण हो
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त्रिनेत्र = तीन आँखों वाला
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गुण + संज्ञा
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पहले शब्द गुण / संख्या / निशानी
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बहु + पुत्र = बहुपुत्र (जिसके बहुत पुत्र हों)
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विशेषण प्रधान
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दोनों शब्द विशेषण बनते हैं
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पीताम्बर = पीले वस्त्र वाला
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