EMRS Admit Card 2025 जारी: 13 दिसंबर को होने वाली परीक्षा के लिए डाउनलोड लिंक सक्रिय नई दिल्ली, 11 दिसंबर 2025: Eklavya Model Residential School (EMRS) ने आखिरकार 13 दिसंबर 2025 को आयोजित होने वाली परीक्षा के लिए Admit Card Download Link जारी कर दिया है। जिन अभ्यर्थियों ने TGT, PGT, Hostel Warden, Accountant, Lab Attendant तथा अन्य पदों के लिए आवेदन किया था, वे अब आधिकारिक वेबसाइट से अपना प्रवेश पत्र डाउनलोड कर सकते हैं। यह प्रवेश पत्र परीक्षा केंद्र में प्रवेश के लिए अनिवार्य है, इसलिए सभी उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे इसे जल्द से जल्द डाउनलोड कर सुरक्षित रखें। EMRS Admit Card 2025 कैसे डाउनलोड करें? (Step-by-Step Guide) EMRS की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं होमपेज पर “Admit Card 2025 Download” लिंक पर क्लिक करें अपनी लॉगिन डिटेल— Registration Number Password / Date of Birth दर्ज करें Admit Card स्क्रीन पर प्रदर्शित होगा इसे डाउनलोड कर प्रिंट निकालें Admit Card में क्या-क्या जांचें? ✔ आपका नाम, फोटो और हस्ताक्षर ✔ आवेदन किए गए पद का नाम ✔ परीक्...
EMRS: Teaching Aptitude and Domain Knowledge Notes PDF
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शिक्षण अभिक्षमता एवं विषयगत ज्ञान — विस्तृत हिन्दी नोट्स
1. परिचय — शिक्षण अभिक्षमता
परिभाषा: शिक्षण अभिक्षमता अध्यापन के लिये आवश्यक वह समग्र क्षमता है जो शिक्षक में योजना बनाने, समझाने, विद्यार्थियों का मूल्यांकन करने, अनुशासन बनाये रखने और सीखने की प्रक्रिया को प्रभावी ढंग से संचालित करने में सहायक होती है।
महत्व: केवल विषय ज्ञान ही पर्याप्त नहीं; शिक्षण के सिद्धांत, विधियाँ और विद्यार्थी-केंद्रित दृष्टिकोण आवश्यक हैं। शिक्षक की अभिक्षमता से सीखने की गुणवत्ता, विद्यार्थियों की रुचि और सीखने की गहरी समझ प्रभावित होती है।
2. शिक्षक के प्रमुख गुण व लक्षण
संचार कौशल: स्पष्ट, संक्षिप्त एवं प्रेरक बोलना व लिखना आना चाहिए।
धैर्य व सहानुभूति: भिन्न-भिन्न क्षमताओं के बच्चों को समान रूप से समझने का गुण।
आयोजन क्षमता (Planning): पाठ योजना, कार्य-पत्र व संसाधन तैयार करने की क्षमता।
नवप्रवर्तन (Creativity): गतिविधियों व समस्याओं का रचनात्मक समाधान।
नैतिकता व उदाहरण सेट करना: अनुशासन व आदर्श व्यवहार का प्रदर्शन।
3. शिक्षण पद्धतियाँ (Methods) — उपयोग व उदाहरण
3.1 पारम्परिक विधियाँ
व्याख्यान (Lecture): सिद्धांत समझाने के लिए; परन्तु संवाद व छात्र-प्रश्न अनिवार्य करें।
अनुदेशात्मक विधि: निर्देशात्मक शिक्षण जहाँ शिक्षण केन्द्रित होता है।
3.2 छात्र-केंद्रित विधियाँ
चर्चा (Discussion): विचार-विनिमय से आलोचनात्मक सोच विकसित होती है।
अन्वेषणात्मक / Inquiry: प्रश्नोत्तरी, प्रयोग और डेटा विश्लेषण से सीखना।
प्रोजेक्ट विधि: दीर्घकालिक अध्ययन—रिसर्च, क्षेत्र यात्रा, प्रस्तुति।
सहकारी अधिगम (Cooperative Learning): जिगसॉ, टीच-टेक-पेयर — सामाजिक कौशल सह-पाठन।
गतिविधि-आधारित (Activity-Based): प्राइमरी कक्षाओं के लिये खेल व गतिविधियाँ।
3.3 विधि चयन के सिद्धांत
विद्यार्थी की उम्र व क्षमता के अनुरूप चुनें।
अवधि, संसाधन व सीखने के उद्देश्यों को ध्यान में रखें।
मिश्रित विधि (Blended approach) अक्सर सबसे प्रभावी होती है।
4. मूल्यांकन (Assessment)
4.1 मूल्यांकन के प्रकार
निरन्तर मूल्यांकन / Formative: क्लास कार्य, प्रश्नोत्तर, छोटे परीक्षण — सुधार हेतु।
समाहारक मूल्यांकन / Summative: परीक्षा, अंतिम आकलन — उपलब्धि नापने के लिये।
निदानात्मक / Diagnostic: प्रारम्भ में ज्ञान के अंतर का पता लगाने हेतु।
स्व-मूल्यांकन / Self-assessment: विद्यार्थी स्वयं अपनी प्रगति का मापन करता है।
4.2 अच्छे मूल्यांकन के सिद्धांत
वैधता (Validity) — जो मापना है वही मापें।
परिशुद्धता (Reliability) — परिणाम स्थिर व दोहराए जा सकने योग्य हों।
व्यवहारिकता (Practicality) — संसाधन व समय के अनुकूल हों।
निष्पक्षता (Objectivity) — अनुमान व पक्षपात से मुक्त परीक्षण।
ऑनलाइन क्विज़ (Kahoot!, Quizizz) से तात्कालिक फीडबैक मिलता है।
LMS (Google Classroom, Moodle) द्वारा असाइनमेंट व सूचनाओं का प्रबंधन।
सुरक्षा: इंटरनेट उपयोग के नियम सिखाएँ—सोर्स व सत्यापन का महत्व बताएं।
7. विषयगत ज्ञान — विषयवार पेडागॉजी (हिन्दी में)
7.1 भाषा (हिन्दी)
कौशल क्रम: सुनना → बोलना → पढ़ना → लिखना
शब्दावली विस्तार के लिए कहानी, कविता, संवाद, शब्द खेल उपयोग करें।
व्याकरण: उदाहरण-आधारित (Inductive) विधि से नियम समझाएँ।
त्रुटि सुधार: लिखित नमूने लेकर सामान्य त्रुटियों पर चर्चा करें।
7.2 गणित
Concrete → Pictorial → Abstract (C-P-A) क्रम से पढ़ाएँ।
मानसिक गणना के अभ्यास और समस्या-समाधान रणनीति (Polya’s steps)।
हाथों-परखे (manipulatives): ब्लॉक्स, नंबर लाइन, भिन्न पट्टियाँ आदि का प्रयोग।
7.3 विज्ञान
प्रयोग-आधारित शिक्षण—हाइपोथेसिस बनाएँ, परीक्षण करें, निष्कर्ष निकालें।
कॉनसेप्ट मैप व चार्ट से अवधारणाओं को जोड़ें (जैसे जीवन चक्र, ऊर्जा का स्थानांतरण)।
सुरक्षा नियम—प्रयोगशाला में क्या करना/क्या नहीं करना है यह स्पष्ट रखें।
7.4 सामाजिक अध्ययन
प्राथमिक स्रोतों (documents, photographs) का विश्लेषण सिखाएँ।
समय-रेखा (timeline) और नक्शे के कार्य से कंटेक्स्ट समझ में आता है।
स्थानीय इतिहास/समस्या से जुड़कर सीखने को प्रासंगिक बनाइए।
8. प्रश्न बैंक (MCQ एवं लघु/संक्षिप्त उत्तर)
8.1 MCQ — उदाहरण
फॉर्मेटिव असेसमेंट का मुख्य उद्देश्य क्या है?
A) विद्यार्थियों की रैंकिंग
B) सीखने के दौरान प्रतिक्रिया दे कर सुधार करना
C) प्रमाणपत्र देना
D) पाठ्यक्रम कम करना
गणित में Concrete → Pictorial → Abstract पद्धति का प्रयोग किसलिए है?
A) स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए
B) अवधारणा की ठोस समझ विकसित करने के लिए
C) केवल प्री-स्कूल के लिए
D) परीक्षा-प्रश्न हल करने के लिए
उत्तर:
1: B 2: B
8.2 लघु उत्तर — उदाहरण
प्रश्न: फॉर्मेटिव असेसमेंट क्या है? उत्तर (2-3 पंक्ति): यह सीखने के दौरान दिया जाने वाला मूल्यांकन है जिसमें शिक्षक छोटे-छोटे परीक्षण, अवलोकन और कार्य के माध्यम से विद्यार्थी की समझ जानकर तुरंत फीडबैक देता है और सुधारात्मक क्रियाएँ करता है।
9. परीक्षा रणनीति व उपयोगी सुझाव
नोट्स को छोटे बिंदुओं व कीवर्ड में रखें — फटाफट रिवीजन के लिए।
पिछले वर्षों के प्रश्न पत्र हल करें — समय प्रबंधन का अभ्यास जरूरी है।
MCQ के लिए स्ट्रैटेजी: विकल्पों को हटाना (Elimination) और लॉक शब्दों पर ध्यान।
लम्बे उत्तरों में क्लासरूम उदाहरण जरूर दें—यह उत्तर को विशिष्ट बनाता है।
10. मॉडल लॉन्ग आन्सर (2 उदाहरण)
10.1 प्रश्न: शिक्षक को योजना बनाते समय किन मुख्य बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर (नमूना): पाठ योजना बनाते समय शिक्षक को पाठ्य उद्देश्य स्पष्ट करने चाहिए—जैसे ज्ञान, कौशल या दृष्टिकोण विकसित करना। विद्यार्थियों की पृष्ठभूमि व श्रेणी का आकलन करें; समय और उपलब्ध संसाधनों का प्रबंधन करें; मूल्यांकन के तरीके (फार्मेटिव/समाहारक) तय करें; गतिविधियों को जोड़ें जो विभिन्न सीखने की क्षमताओं को ध्यान में रखें—और अन्त में समावेशी (inclusive) दृष्टिकोण अपनाएँ ताकि विशेष आवश्यकताओं वाले विद्यार्थी भी सीख सकें।
10.2 प्रश्न: गणित सिखाने में C–P–A दृष्टिकोण का महत्व बताइए।
उत्तर (नमूना): C–P–A (Concrete–Pictorial–Abstract) दृष्टिकोण से विद्यार्थी पहले वस्तुओं के माध्यम से (Concrete) अवधारणा समझता है, फिर चित्रों/मॉडल के माध्यम से (Pictorial) और अन्ततः प्रतीक या सूत्र (Abstract) तक पहुंचता है। इससे संज्ञानात्मक विकास होता है, अवधारणा दृढ़ बनती है और विद्यार्थी समस्याओं को विभिन्न स्तरों पर समझकर हल कर पाता है।
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