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KVS/NVS General Knowledge Notes PDF

KVS NVS GS Notes in Hindi | Free PDF 📘 KVS / NVS GS Notes (General Studies) ये नोट्स खास तौर पर KVS, NVS, EMRS, DSSSB जैसी शिक्षक परीक्षाओं के लिए बनाए गए हैं। 🏛️ इतिहास (History) सिंधु घाटी सभ्यता – हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगा वैदिक काल – ऋग्वैदिक व उत्तरवैदिक मौर्य साम्राज्य – अशोक के शिलालेख गुप्त काल – स्वर्ण युग 1857 का विद्रोह – प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 🌍 भूगोल (Geography) भारत की भौतिक संरचना – हिमालय, मैदान, पठार नदियाँ – गंगा, ब्रह्मपुत्र, सिंधु जलवायु – मानसून प्रणाली मृदा के प्रकार – जलोढ़, काली, लाल भारत के राष्ट्रीय उद्यान ⚖️ भारतीय संविधान (Polity) संविधान लागू – 26 जनवरी 1950 मौलिक अधिकार – 6 राज्य के नीति निर्देशक तत्व राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, संसद संवैधानिक निकाय – UPSC, CAG 💰 अर्थव्यवस्था (Economy) GDP और GNP मुद्रास्फीति (Inflation) बजट के प्रकार नीति आयोग पंचवर्षीय योजनाएँ 🔬 सामान्य विज्ञान (Science) कोशिका – जीव की मूल इकाई मानव रक्त समूह बल और गति के नियम पर्यावरण और पारिस्थितिकी...

EMRS Free Teaching Aptitude Notes in Hindi

 


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Teaching Aptitude Notes (EMRS TGT/PGT के लिए)

1. शिक्षण का स्वरूप (Nature of Teaching)



  • शिक्षण एक दो-तरफा प्रक्रिया है जिसमें शिक्षक और विद्यार्थी दोनों सक्रिय भूमिका निभाते हैं।
  • इसका उद्देश्य केवल ज्ञान देना नहीं, बल्कि व्यवहार परिवर्तन, सोचने की क्षमता, और सामाजिक विकास करना भी है।
  • शिक्षण का मूल स्वरूप – सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, और नैतिक प्रक्रिया है।



मुख्य बिंदु:


  1. शिक्षण केवल जानकारी देना नहीं बल्कि जीवन में उपयोगी बनाना है।
  2. यह व्यक्ति के सर्वांगीण विकास पर केंद्रित होता है।
  3. इसमें शिक्षक, छात्र, और शिक्षण वातावरण तीनों का योगदान होता है।






2. शिक्षण की विशेषताएँ (Characteristics of Teaching)



  1. उद्देश्यपूर्ण गतिविधि: शिक्षण का स्पष्ट लक्ष्य होता है।
  2. द्विपक्षीय प्रक्रिया: शिक्षक और विद्यार्थी दोनों सक्रिय होते हैं।
  3. परिवर्तनकारी प्रक्रिया: शिक्षण से व्यवहार में परिवर्तन होता है।
  4. सामाजिक प्रक्रिया: समाज की आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षण बदलता है।
  5. निरंतर प्रक्रिया: सीखना और सिखाना जीवनभर चलता रहता है।
  6. मूल्य आधारित: शिक्षण में नैतिक मूल्यों का समावेश आवश्यक है।






3. उद्देश्य और मूल आवश्यकताएँ (Objectives and Basic Requirements)



मुख्य उद्देश्य:


  • ज्ञानार्जन (Acquisition of Knowledge)
  • कौशल विकास (Skill Development)
  • दृष्टिकोण निर्माण (Attitude Formation)
  • व्यवहार परिवर्तन (Behavioral Change)
  • जीवन के लिए तैयारी (Preparation for Life)



मूल आवश्यकताएँ:


  1. योग्य शिक्षक
  2. उपयुक्त शिक्षण विधियाँ
  3. प्रेरक वातावरण
  4. शैक्षिक साधन (Teaching Aids)
  5. उपयुक्त मूल्यांकन प्रणाली






4. शिक्षार्थी की विशेषताएँ (Learner’s Characteristics)



  1. आयु (Age): मानसिक और शारीरिक स्तर पर फर्क पड़ता है।
  2. बुद्धि स्तर (Intelligence): उच्च, औसत, निम्न बुद्धि वाले शिक्षार्थियों की सीखने की गति अलग होती है।
  3. रुचि (Interest): रुचि के अनुसार सीखने की इच्छा बढ़ती है।
  4. पूर्व अनुभव (Previous Knowledge): पहले का ज्ञान नई सीख में मदद करता है।
  5. प्रेरणा (Motivation): आंतरिक या बाहरी प्रेरणा से सीखने की प्रभावशीलता बढ़ती है।
  6. भावनात्मक स्थिति: भावनाएं सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं।






5. शिक्षण को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Teaching)



  1. शिक्षक से संबंधित कारक: ज्ञान, व्यवहार, संप्रेषण कौशल, व्यक्तित्व।
  2. शिक्षार्थी से संबंधित कारक: रुचि, प्रेरणा, बुद्धि स्तर, पृष्ठभूमि।
  3. पर्यावरणीय कारक: कक्षा का वातावरण, संसाधन, प्रकाश, अनुशासन।
  4. शिक्षण विधियाँ: उपयुक्त विधि का चयन शिक्षण की प्रभावशीलता बढ़ाता है।
  5. संचार प्रक्रिया: स्पष्ट और प्रभावी संचार आवश्यक है।
  6. मूल्यांकन प्रणाली: शिक्षण की गुणवत्ता जांचने का माध्यम।






6. शिक्षण की विधियाँ (Methods of Teaching)



  1. व्याख्यान विधि (Lecture Method): सैद्धांतिक विषयों के लिए।
  2. प्रश्नोत्तर विधि (Question-Answer Method): विद्यार्थियों की सक्रियता के लिए।
  3. प्रदर्शन विधि (Demonstration Method): प्रयोगात्मक विषयों के लिए उपयुक्त।
  4. चर्चा विधि (Discussion Method): विचारों के आदान-प्रदान के लिए।
  5. समस्या समाधान विधि (Problem Solving Method): तर्कशील सोच के लिए।
  6. प्रोजेक्ट विधि (Project Method): व्यवहारिक अनुभव हेतु।
  7. अवलोकन विधि (Observation Method): वास्तविक परिस्थितियों से सीखना।






7. शिक्षण सहायक साधन (Teaching Aids)



  • शिक्षण को प्रभावी बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले भौतिक या तकनीकी साधन।



प्रकार:


  1. श्रव्य साधन (Audio Aids): रेडियो, टेप रिकॉर्डर, पॉडकास्ट आदि।
  2. दृश्य साधन (Visual Aids): चार्ट, मानचित्र, चित्र, मॉडल आदि।
  3. श्रव्य-दृश्य साधन (Audio-Visual Aids): वीडियो, टेलीविजन, प्रोजेक्टर, स्मार्ट क्लास आदि।



महत्व:


  • शिक्षण को रोचक बनाते हैं।
  • अमूर्त अवधारणाओं को स्पष्ट करते हैं।
  • ध्यान केंद्रित और स्मरणशक्ति बढ़ाते हैं।






8. मूल्यांकन प्रणाली (Evaluation Systems)



अर्थ:

मूल्यांकन वह प्रक्रिया है जिससे विद्यार्थी की सीखने की उपलब्धि मापी जाती है।


प्रकार:


  1. पूर्व मूल्यांकन (Pre-assessment): प्रारंभिक स्तर पर।
  2. गठनात्मक मूल्यांकन (Formative Evaluation): शिक्षण के दौरान निरंतर।
  3. सारांशात्मक मूल्यांकन (Summative Evaluation): अध्याय या सत्र के अंत में।



उद्देश्य:


  • विद्यार्थी की प्रगति मापना।
  • शिक्षण विधियों की प्रभावशीलता जानना।
  • सुधारात्मक उपाय सुझाना।

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